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Saturday, June 19, 2010

ये संपादक इस युग में भी कलम लेकर कापी एडिट करते हैं

क्या टाइम्स आफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, हिंदू, टेलीग्राफ, डेक्कन, भास्कर, हिंदुस्तान, अमर उजाला, पत्रिका, जागरण, प्रभात खबर आदि अखबारों के कार्यकारी या स्थानीय संपादक कंप्यूटर-इंटरनेट के युग में खबर की हार्ड कापी लेकर कलम से उसे एडिट करते होंगे? मैं सबके बारे में दावे के साथ तो नहीं कह सकता, फिर भी सालों से यह परंपरा बंद ही नजर आ रही है। आप सोच रहे होंगे कि यकायक मुझे यह बात कहां से याद आ गई जो इसका जिक्र कर रहा हूं। दरअसल मैं प्वाइंटर के पुराने न्यूजलेटर देख रहा था और वहां अप्रैल के महीने का एक आलेख मुझे मिला जिसमें अमेरिका के उन संपादकों की बात बताई गई थी, जो आज भी हाथ में कलम लेकर कागज पर रिपोर्टर की कापी एडिट करते हैं। यहां वाशिंगटन पोस्ट के नियमित लेखक हैंक स्टूवर के ब्लाग का जिक्र हैं। मैं उस ब्लाग पर गया और प्रेसीडेंट ओबामा की स्पीच की कलम से एडिटेड कापी देखी। मैं इसे भी यहां पोस्ट कर रहा हूं-

और तलाश शुरू की तो पाया कि अमेरिका में एक नहीं कई संपादक आज भी कलम से कापी एडिट करते हैं। 
वायस आफ सैनडियागो के संपादक एंड्रू डोनाह्यू कहते हैं कि I still edit by hand w/ a red pen and a clipboardएंड्रू कलम से एडिटिंग को ट्रेनिंग और कोचिंग का अच्छा टूल मानते हैं। उनका मानना है कि इससे रिपोर्टर्स को अच्छी कापी लिखने में मदद मिलती है।

आग्रह
  • आपके संपादक यदि ऐसे हों तो उनके बारे में यहां शेयर करें।
  • यदि आप खुद संपादक हैं और रिपोर्टर्स की कोचिंग के लिए कोई खास तरीका इस्तेमाल करते हैं तो यहां शेयर करें।
  • यदि आप रिपोर्टर हैं और अपने संपादक के तरीके आपको अपनी स्किल्स विकसित करने में मदद मिली है तो विस्तार से सबको बताएं।

1 comment:

  1. वैसे इस तरह के संपादक तो लुप्त हो रही या लगभग हो लुप्त हो चुकी प्रजाति बन चुके हैं। अधिकांश संपादक जो मैंने देखे हैं, जो संपादक कम और डिजाइनर ज्यादा होते हैं। जो बन चुके पन्ने पर डिजाइन का खाका खींच देते हैं और यदि ज्यादा हुआ तो कॉपी एडिट करते वक्त उसमें से ऐसी चीजें हटा देते हैं, जिससे उन्हें या मालिकान को दिक्कत आए। चाहे भले ही वह पाठकों के हित मे हो। खैर, बाजारवाद के नजरिए से शायद यह जरूरी भी है। हां एक बात और। पिछले एक दशक में मैंने देखा है कि हिंदी अखबारों के संपादक अंग्रेजी दां लोग हो रहे हैं। जो अपना संपादकीय या तो दूसरों से डिक्टेट को डिक्टेट करके लिखवाते हैं या फिर रोमन हिंदी मे लिखकर देते हैं इस आदेश के साथ कि गलतियां न जाने पाएं।

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