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Wednesday, June 16, 2010

न्यूयार्क टाइम्स बना रहा है नए रास्ते

By RAMU
कहीं ऐसा न हो कि द न्यूयार्क टाइम्स को द न्यूयार्क टाइम्स एंड फ्रेंड्स के नाम से जाना जाने लगे। इस अखबार ने पिछले माह सैन फ्रांसिस्को के  प्राफिट जर्नलिज्म ग्रुप द बे सिटीजन के साथ न्यूज गैटदरिंग पार्टनरशिप की है। बे सिटीजन के 15 कर्मचारी हैं और इनका नेतृत्व जोनाथन वेबर कर रहे हैं। जोनाथन वेबर अपनी गति को प्राप्त हो चुकी बिजनेस मैगजीन द इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के एडीटर इन चीफ रहे हैं। अब वह न्यूयार्क टाइम्स के आठ माह पुराने सैन फ्रांसिस्को पुलआउट के लिए कंटेंट उपलब्ध कराएंगे। यह पुलआउट हफ्ते में दो दिन दिया जाता है। यहां यह बता देना उचित होगा कि न्यूयार्क टाइम्स और वाल स्ट्रीट जर्नल में आजकल लोकल कवरेज बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा चल रही है। अखबार का यह पहला प्रयोग नहीं है बल्कि उसने इस साल की शुरुआत में न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता छात्रों को मैनहटन के ईस्ट विलेज पर केंद्रित अपनी अति लोकल वेबसाइट के लिए कंटेंट उपलब्ध कराने के लिए रखा था। गौरतलब है कि न्यूयार्क टाइम्स अपने अति विश्वसनीय कंटेंट के लिए जाना जाता रहा है और इसकी वजह यह रही कि उसने पहले कभी फ्रीलांसरों का सहारा नहीं लिया था।
अगर हम अपने देश की बात करें तो यहां फ्रीलांसरों की परंपरा बहुत पुरानी है। अपने फ्रीलांसरों को प्रतिनिधि कहा जाता रहा है क्योंकि इनके साथ अखबार का एक्सक्लूसिव अनुबंध होता है। हिंदी हो या अंगरेजी, सभी अखबार क्षेत्रीय (अपकंट्री) खबरों के लिए इन्हीं पर आज भी निर्भर करते हैं। लेकिन मैनहटन की अपनी अति लोकल वेबसाइट के लिए जो प्रयोग न्यूयार्क टाइम्स ने अब किया है, वह प्रयोग भास्कर ने 2005-2009 तक सफलता पूर्वक चलाया। दरअसल भास्कर का लोकल पुलआउट सिटी भास्कर का अधिकतर कंटेंट कालेज से निकले नए छात्र ही उपलब्ध कराते थे। इन्हें फ्रीलांसर का दर्जा दिया जाता था और इनको छपी खबरों के लिहाज से भुगतान कर दिया जाता था। जिन फ्रीलांसरों में प्रतिभा दिखती थी, उन्हें साल-डेढ़ में स्टाफर बना दिया जाता था और नए फ्रीलांसर भरती कर लिए जाते थे। बाद में डीबी स्टार में भी यह प्रयोग किया गया। अब वहां शायद यह प्रयोग ढीला पड़ गया है।







3 comments:

  1. india mein aisa seekhne ke lihaaj se behtar ho sakta hai

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  2. लेकिन यह बहुत अच्छा प्रयोग नहीं है। क्योंकि इसमें रीडर का ख्याल कहां है। इसमें सिर्फ कंटेंट का ख्याल है वो भी मनचाहे।

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  3. freelancing concept khuch mazzedaar nahi tha. isko lambe samay tak nahi chalaya ja sakta.

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